बिहार के पुनर्निर्माण में हर बिहारी की भागीदारी आवश्यक ही नहीं बल्कि अनिवार्य है. आप भी सादर आमंत्रित हैं. आप बहुत कुछ कर सकते हैं. छोटी छोटी बातों से शुरुवात कर सकते हैं. जैसे कि, सार्वजनिक स्थलों एवं सम्पतियों का ख्याल रखें. सफाई का ख्याल रखें, यहाँ वहां कचरा, कागज, पन्नी इत्यादि न फेकें. पान खाकर, गुटखा खाकर सरेआम थूकना बंद कर दें. खुलेआम पेशाब और शौच न करें. सार्वजनिक शौचालय के उपयोग के पश्चात फ्लस करे, पानी डाले. सबकी इज्ज़त करे, दबंगई न करे, छोटी छोटी बातों को इज्ज़त की बात मान हाथापाई और गली गलौज न करें, उत्तेजित न होवें, जाने दें. टिकट लेने के लिए, आवेदन करने के लिए, हर जगह पंक्ति में लगे. यात्रा करते वक़्त सहयात्रियों के सुविधा का ख्याल रखे. ऊँची आवाज में संगीत न सुने, मोबाइल पर बात करते वक़्त आस पास के लोगो के सुविधा का ख्याल रखें. गाड़ी चलाते वक़्त अनुशासित व्यवहार करें, पैदल यात्रियों को सड़क पार करने का अवसर दें. ऐसी अनेक छोटी छोटी बातें हैं.
बिहार से बाहर आकर यदि हम ये कर सकते हैं तो बिहार में रहते हुए क्यों नहीं? थोड़ी तकलीफ होगी पर त्याग तो करना पड़ेगा, प्रयत्न तो करना ही होगा. बदलाव चाहिए तो करना ही पड़ेगा, अपने लिए, अपने अपनों के लिए, अपने बच्चों के लिए.
ये छोटी छोटी बातें एक गौरवशाली और समृद्ध बिहार के लिए नींव का काम करेंगी.
बिहार सरकार ने केंद्र सरकार को एक महत्वकांक्षी नहर के निर्माण की योजना का प्रस्ताव भेजा है. ये नहर बाढ़ से रक्षा करेगी, पनबिजली संयंत्र से अपार विद्युत् पैदा करेगी. बिहार में कृषि एवं औद्योगिक क्रांति लाएगी. ये नहर कही राज्य और केंद्र की राजनीति का सिर्फ मुद्दा न बनकर रह जाये इसलिए नहर निर्माण के मुहीम से जुड़े.
मै चीखू-चिल्लाऊ करू विनती हजार !
अकेले मरी आवाज को सुने कौन सरकार?
दस लाख हम जब मिले और करे पुकार!
कैसे न सुनेगी बहरी से बहरी सरकार!!
बिहार दिवस के अवसर पर प्रण लें, प्रयत्न करते रहे, औरो को भी प्रेरित करें.
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