Saturday, October 22, 2011

An open letter to the CM of Bihar for construction of 358 km long canal at Bihar Nepal Border

महाशय,

मैं बिहार रिभायवल फोरम का प्रतिनिधित्व करता हूँ जो कि एक ऑनलाइन फोरम हैं जिसमे देश विदेश में बसे देसी लोग सपनों के बिहार को बनाने के लिए प्रयासरत हैं. २००८ में जब बिहार कोशी के प्रकोप से त्रस्त था. लाखो लोग बेघर हो चुके थे. हम राहत एवं पुनार्निर्वास कार्य में तन मन धन से निःस्वार्थ भाव से लगे थे. जैसे ही ये हादसा हुआ, हमने देश-विदेश में बैठे अपने मित्रों को बाढ़ राहत कोष में योगदान के लिए प्रेरित करना शुरू किया. विदित हो कि कारपोरेट जगत में राहत कार्यो के लिए दान एकत्र करने एवं अन्य सामाजिक कार्यो का प्रावधान होता है. मित्रो ने अपने कार्यालय के उचित विभाग से संपर्क करने को कहा जिनके प्रयासों के फलस्वरूप कई कंपनियों में कार्यालय स्तर पर लाखो रूपये एकत्र कर प्रधान मंत्री राहत कोष में भेजे गए. वही दूसरी तरफ हमने वस्त्र, खाद्य पदार्थ, कम्बल इत्यादि एकत्र कर पीड़ितों को बांटे. ऐसा महीनो तक चलता रहा. लोगों की पीड़ा हमारी रातों की नींद उड़ा रही थी. हमने इस समस्या पर भीषण अध्यन किया और पाया कि नेपाल से आने वाली ६ प्रमुख नदियाँ बूढी गंडक, गंडक, बागमती, कमला, कोशी एवं महानंदा वर्षों से बिहार में तबाही फैलाती रही हैं. नेपाल सरकार से समाधान के लिए हो रही वार्ताओं का परिणाम शुन्य रहा है. हमने विचार किया कि क्यों न एक नहर बनाया जाये, नेपाल की सीमा के सामानांतर, किन्तु बिहार की भूमि पर जिसके लिए हम नेपाल पर आश्रित नहीं होंगे. अभियंता मित्रो ने इस विचार को एक तस्वीर के शक्ल में चित्रित किया. ये ध्यान रखा गया की एक ऐसा नहर हो जो कोशी जैसी त्रासदी के पुनरावृति की स्तिथि में सारा जल अपनी गर्भ में समां ले. नतीजा निकला एक ३५६ किलोमीटर लम्बी नहर (बिहार-नेपाल के सीमा की लम्बाई के बराबर), जो बिहार को नेपाल जनित नदियों के बाढ़ प्रकोप से बचाएगी एवं पनबिजली उत्पादन यंत्रों से प्रचुर मात्रा में बिजली उत्पादित करेगी. इस तरह बिहार में कृषि एवं उद्योग के क्षेत्र में क्रांति होगी. लाखों लोगो को रोजगार मिलेगा, नहर बिहार-नेपाल सीमा को सील कर राष्ट्र की सुरक्षा बढ़ाएगी. कंप्यूटर अभियंता मित्रों ने वेबसाइट बनाकर नहर प्रस्ताव को अपलोड कर दिया. अपलोड करने के बाद ईमेल के माध्यम से इसका प्रचार प्रसार किया गया. मीडिया, राहुल गाँधी, अडवाणी, कलाम जैसे महानुभावों को सन्देश भेजे गए.

दिसम्बर २००९ में हिंदुस्तान दैनिक में छपा कि बिहार सरकार ने केंद्र सरकार को एक नहर का प्रस्ताव भेजा है जो नेपाल से आने वाली नदियों को गंगा के सामानांतर में जोड़ेगी. हमने पाया कि ये प्रस्ताव हमारे प्रस्ताव से काफी हद तक मिलता-जुलता है. किन्तु हमें कोई आपत्ति नहीं है क्योकिं हमने नहर का प्रस्ताव इसीलिए इन्टरनेट पर डाला था कि सरकार के कानों तक बात पहुचे. हालाँकि एक शिकन हमेशा रही कि यदि सरकार ने संपर्क किया होता तो बहुत सारे दुसरे पहलु भी उपलब्ध कराते. केंद्र को भेजे प्रस्ताव के अनुसार प्रोजेक्ट के डी पी आर के लिए ६०० करोड़ की लागत का अनुमान है और पुरे प्रोजेक्ट के लिए ६०००० करोड़ का. हमारा मानना है कि बिहार सरकार ने जो भारी भरकम प्रस्ताव भेजा है उसमे दृढसंकल्प कम दीखता है. राज्य सरकार इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेज भले भूल चुकी हो किन्तु हम अभी भी इन्टरनेट और जन संपर्क के माध्यम से नहर के समर्थन में हस्ताक्षर अभियान में लगे है. करीब डेढ़ हजार लोग अबतक इस अभियान से इन्टरनेट पर जुड़ चुके हैं. इक्षुक गण http://revive-bihar.blogspot.com और फेसबुक पर बिहार रिभायवल फोरम ग्रुप में नामांकन कर इस मुहीम में शामिल हो सकते हैं.

हम नहर के स्वप्न को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और बिहार सरकार को पूरा सहयोग देने को तैयार हैं. हमने गूगल मैप के माध्यम से नेपाल की सीमा का अध्यन किया और पाया की कठोर इक्षाशक्ति हो तो ६०० करोड़ में पूरा का पूरा नहर खुदवाया जा सकता है. बिहार राज्य पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के एक रिपोर्ट के अनुसार १ हेक्टेयेर x २ मीटर क्षेत्र कि खुदाई कि लागत डेढ़ लाख रूपये हैं. यदि हमें ४०० किलोमीटर लम्बी, १ किलोमीटर चौड़ी एवं २ मीटर गहरी नहर खोदनी हो तो कुल क्षेत्र होगा ४०००० हेक्टयेर और १.५ लाख प्रति हेक्टयेर के दर से कुल खर्च आएगा ६०० करोड़ रूपये. इस खुदाई में हजारों गरीब लोगो को रोजगार मिलेगा. पारिश्रमिक के भुगतान के लिए नरेगा योजना का इस्तेमाल किया जा सकता है. केंद्र सरकार के भरोसे हाथ पर हाथ धरें रहने से कही अच्छा हैं कि राज्य सरकार इस दिशा में यथासंभव प्रयास शीघ्रातिशीघ्र शुरू करे. हमारे संसद लोकसभा एवं राज्यसभा में इस मुद्दे को उठाते रहें और हम हस्ताक्षर अभियान एवं जनाग्रह के माध्यम से और मीडिया के सहयोग से केंद्र का ध्यान खींचे. नवबिहार के निर्माण में प्रत्येक निवासी कि भागीदारी अनिवार्य है और मैं सभो लोगो से सहयोग का आह्वान करता हूँ.

बिहार नेपाल सीमा पर
नहर की है दरकार!
हुए साठ साल आजादी के
और कितना इन्तजार?
बाढ़ पे हो पाबन्दी
और बिजली की बहार!
नहर लाए समृधि
हो सपने साकार !!

मै चीखू-चिल्लाऊ
करू विनती हजार !
अकेले मरी आवाज को
सुने कौन सरकार?
दस लाख हम जब मिले
और करे पुकार!
कैसे न सुनेगी
बहरी से बहरी सरकार!!

Blog:http://revive-bihar.blogspot.com
FaceBook:http://www.facebook.com/group.php?gid=117926088238557&v=info
Cause: http://www.causes.com/causes/584731-signature-compaign-for-356-km-long-canal-in-bihar-at-nepal-border

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Dear Madam/Sir,

We represent Bihar Revival Forum which is an online forum with objective to achieve the dream of developed and prosperous Bihar. BRF was founded in 2008 during Koshi calamity by us when we volunteered to visit the affected areas and involved in rehabilitation work. Friends working in corporate world to contacted relevant authorities to collect donation for the purpose. We persuaded the relevant authorities to take initiative and significant amount of money was collected at office level and sent to Prime Minister Relief Fund. Apart from that we also collected clothes, blankets, food etc and distributed there.
Later we started to discuss about the recurring floods caused by the six rivers (Burhi Gandak, Gandak, Bagmati, Kamla, Koshi and Mahananda) originating from Nepal and spreading havoc. The initiatives taken by Government so far failed to solve the problem because the solution proposed required involvement of Nepal. So we came up with a proposal to construct a 356 km long canal in Bihar, parallel to Nepal border. As this will be in Bihar we will not have to rely on Nepal. This canal links the entire six rivers and in case of another koshi breach can store water for more than two days. The canal will resolve the flood problem. By setting up hydro-electricity power plants abundant electricity can be generated. This will trigger agricultural and industrial revolution. The canal will seal the border and limit the illegal activities. We published the canal proposal in beginning of 2009 on our website and started to spread it through emails. We sent email to media, Kalam, Rahul Gandhi, Advani etc but we did not get any response.

In December 2009 Dainik Hindustan reported that a canal has been sent by State Government to Central Government for approval which is quite similar to our proposal. But we do not have any grievance as we put the proposal on public website to bring it to the notice of the Government. But little disappointment was there because if we have been contacted we could have given many valuable inputs additionally. As per the Government proposal the estimated cost for preparation of Detailed Project Report is 600 Crores and for the complete project is 60000 Crores. We believe that the big bang project proposal sent shows least commitment. State government might have forgotten the project after sending the proposal but not us. We have been campaigning for the canal continuously and also we have started a signature campaign using online cause. Till now about 1500 person have registered to the cause and our cause was also covered in Dainik Hindustan.

We are committed to fulfill the dream of canal and ready to cooperate with the government by all means. We have reviewed and analyzed the border through Google map and we believe that with strong will the canal itself can be excavated at the cost of 600 Crores. As per the Bihar State Animal and Fisheries Resource department the cost of excavation of an area 1 hectare x 2 m is 1.5 lakhs. So if we excavate a canal of 400 km in length, 1 km in breadth and 2m in depth the area will be 4000 hectares and the cost will be 600 crore. MNAREGA can be utilized for the project and this will employ thousands of workers immediately. This canal will form a solid foundation for our dream Bihar and to make is possible we must not leave any stone unturned. We request the State Government that instead of waiting for Central Government's response they should take their own initiative as soon as possible. We pray to our MPs to give up the politics of party, cast and opportunity and raise this issue united in the parliament. And BRF will continue its campaign and make it more intense. To achieve such a mammoth dream, contribution by each individual is mandatory to I urge everyone to support us by signing the Signature Campaign available on internet.

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